हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा-ए-इल्मिया ईरान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मुफ़ीद हुसैनी कोहसारी ने कहा है कि इस्लामी दुनिया में वैचारिक जागरूकता, उम्मत की एकता और इस्लामी सभ्यता के प्रसार के लिए वैज्ञानिक कूटनीति को गंभीरता से अपनाना समय की अहम आवश्यकता है उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अन्य कूटनीतिक क्षेत्रों के सहयोग के बिना यह प्रक्रिया सफल नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक कूटनीति तभी प्रभावी और उद्देश्यपूर्ण ढंग से पूरी हो सकती है जब इसे अन्य प्रकार की कूटनीति विशेष रूप से राष्ट्रीय, सांस्कृतिक, मीडिया, धर्मों और मज़हबों तथा आर्थिक कूटनीति के साथ समन्वित और जुड़ा हुआ रखा जाए।
वैज्ञानिक कूटनीति में हौज़ा और विश्वविद्यालय के शिक्षकों की भूमिका” विषय पर एक विशेषज्ञ बैठक ओपन यूनिवर्सिटी कुर्दिस्तान में आयोजित हुई, जिसमें हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हुसैनी कोहसारी ने विशेष अतिथि के रूप में संबोधन किए।
उन्होंने वैज्ञानिक कूटनीति को इस्लामी गणराज्य ईरान की ‘सॉफ्ट पावर’ का एक महत्वपूर्ण तत्व बताते हुए कहा कि विशेष रूप से हालिया 12-दिवसीय युद्ध के बाद वैश्विक स्तर पर ईरान की वैज्ञानिक, बौद्धिक और सभ्यतागत क्षमताओं को उजागर करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। उनके अनुसार, आधुनिक इस्लामी संस्कृति के निर्माण और उम्मत-निर्माण के लिए ज़रूरी है कि वैज्ञानिक व तकनीकी विकास सहित शक्ति और प्रगति के सभी तत्व आपस में सक्रिय और समन्वित हों।
हौज़ा-ए-इल्मिया के अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रमुख ने कहा कि वैज्ञानिक कूटनीति को सक्रिय बनाने के लिए इसकी अहमियत को समझना और इस क्षेत्र में वैचारिक व सांस्कृतिक चेतना जगाना अनिवार्य है, ताकि हौज़ा और विश्वविद्यालयी संस्थानों में इसे एक प्रमुख रणनीति के रूप में अपनाया जा सके।
उन्होंने वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों, तकनीक और बहु-माध्यमीय संचार, नई वैश्विक व क्षेत्रीय शक्तियों के उभार और पश्चिम की भौतिक सभ्यता से उत्पन्न संकटों को ईरान के लिए वैज्ञानिक कूटनीति के ऐतिहासिक अवसर क़रार दिया।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हुसैनी कोहसारी ने कहा कि देश के शैक्षणिक संस्थान वैज्ञानिक कूटनीति के लिए अद्वितीय क्षमताओं से संपन्न हैं।
उन्होंने वैज्ञानिक कूटनीति को सक्रिय करने के लिए कुछ प्राथमिकताएँ भी बताईं, जिनमें गैर-ईरानी छात्रों और तलबा पर विशेष ध्यान, फ़ारसी-भाषी देशों और विदेशों में रहने वाले ईरानियों से शैक्षणिक संबंध, पड़ोसी देशों और मुक़ावमत मोर्चे के साथ सहयोग, इस्लामी दुनिया में साझा शैक्षणिक केंद्रों की स्थापना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग, ऑनलाइन बैठकों और वेबिनारों का प्रसार तथा संयुक्त शैक्षणिक संघों का गठन शामिल है।
अंत में उन्होंने कहा कि इन सभी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ज़रूरी है कि वैज्ञानिक कूटनीति अन्य कूटनीतिक क्षेत्रों के साथ समन्वय में आगे बढ़े, ताकि ईरान अपनी वैज्ञानिक और बौद्धिक श्रेष्ठता को वैश्विक स्तर पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सके।
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